Tuesday, October 26, 2010

ठेकुआ

भाभी ने घी से मोम किया

ऒर सान दिया आटा


कडाही चढाया

चुल्हे पर

डाला जो पहला चकवा

टोले मे पसर गयी असली घी

ऒर चीनी के पकने की खु्शबू


जाने कहा से दॊडी आयी मम्मी

देखा यह नाश तो फ्ट पडी

हो गयी अगियाबॆताल

एक करम नही छोडा भाभी का


मम्मी की इतनी तेज थी आवाज

इतना तेज था गुस्सा

जॆसे घर मे समा गया हो भूचाल

भाभी ने कुछ कहा ही नही

कातर निगाहो से देखा देवर को

जैसे पूछ रही हो

अपनी गलती

सजा झेल लेने के बाद


ठेकुआ बनाने के लिये देवर ने ही कहा था

वो खुद ही आ गया था सुनकर

घर मे कुहराम..गुस्से मे उलट दिया

कठॊता, कुर्ता पहना ऒर चला गया

मम्मी को भी कहा पता था कि

उसके बेटे ने कहा हॆ

उसे तो लगा कि करमजली

लंबी ऒर चटोर हॆ जिसकी जीभ

तय करके नही दिया जिसके बाप ने बॆल

ठेकुआ बना रही हॆ


कमबख्त

बस इतना बता देती कि देवर जी ने कहा हॆ

तो कौन सी बडी चीज हॆ

ठेकुआ

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ठेकुआ-- बिहार का एक ग्रामीण ब्यन्जन

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