भाभी ने घी से मोम किया
ऒर सान दिया आटा
कडाही चढाया
चुल्हे पर
डाला जो पहला चकवा
टोले मे पसर गयी असली घी
ऒर चीनी के पकने की खु्शबू
जाने कहा से दॊडी आयी मम्मी
देखा यह नाश तो फ्ट पडी
हो गयी अगियाबॆताल
एक करम नही छोडा भाभी का
मम्मी की इतनी तेज थी आवाज
इतना तेज था गुस्सा
जॆसे घर मे समा गया हो भूचाल
भाभी ने कुछ कहा ही नही
कातर निगाहो से देखा देवर को
जैसे पूछ रही हो
अपनी गलती
सजा झेल लेने के बाद
ठेकुआ बनाने के लिये देवर ने ही कहा था
वो खुद ही आ गया था सुनकर
घर मे कुहराम..गुस्से मे उलट दिया
कठॊता, कुर्ता पहना ऒर चला गया
मम्मी को भी कहा पता था कि
उसके बेटे ने कहा हॆ
उसे तो लगा कि करमजली
लंबी ऒर चटोर हॆ जिसकी जीभ
तय करके नही दिया जिसके बाप ने बॆल
ठेकुआ बना रही हॆ
कमबख्त
बस इतना बता देती कि देवर जी ने कहा हॆ
तो कौन सी बडी चीज हॆ
ठेकुआ
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ठेकुआ-- बिहार का एक ग्रामीण ब्यन्जन
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