मेरे मुह मे ठुसा हॆ कपडा
ऎठ कर पीछे बधे हॆ हाथ
कोई कलगी नोचता हॆ
कोई पाख
कोई गर्दन काटता हॆ
कोई टाग
हलक मे सूख गयी हॆ
मेरी चीख
मारने के पहले जॆसे बिल्ली
चूहे से खेलती हॆ
कोई
खेल रहा हॆ हमसे
लो--
फ़िर आ गये
फ़िर आ गये सात समन्दर पार से
कसाई....
फ़िर आया गडासा
दिल्ली के हाथ
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