Thursday, November 4, 2010

भोजन की जंग में

कुत्तों और गिद्धों के बीच छिड़ी
भोजन की जंग में
आदमी
गिद्धों के साथ था

सुबह की सुनहरी धूप में
डांगर का माँस
इतना रक्तिम, इतना ताज़ा लग रहा था
जैसे शिकार किया हो अभी-अभी
सेना कुत्तों की थी तो कम न थी पलटन गिद्धों की
थोड़ी देर तक चला सब कुछ ठीक-ठाक
फिर शुरू हो गई
गिद्धों की क्रे...क्रे... कुत्तों की भौं...भौं...

कभी गिद्ध कुत्तों का पीछा करते
कभी कुत्ते गिद्धों का

आदम ने डंडा उठाया तो
दूनी ताकत से भौंके कुत्ते,
उत्साह से भरे ... मगर यह क्या
आदमी ने कुत्तों को ही खदेड़ा और
खदेड़ता रहा घूम-घूमकर दस फीट की परिधि में
डांगर की खाल उतर चुकी थी और उसे जल्दी थी

बहुत मायूस होकर देखा कुत्तों ने
आदमी का न्याय
अब हड्डियों के लिए था
और वह गिद्धों के साथ था ।

2 comments:

Randhir Singh Suman said...

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये

DIMPLE SHARMA said...

बहुत सुंदर रचना, दीपावली की शुभकामनाये
sparkindians.blogspot.com