Sunday, November 7, 2010

वीजडा

मेघ भरे आसमान के नीचे
हमे प्यार की चुटकी से निकालो
हम बीजडे है
धान के

हाथ को
जरा सा हवा मे लहराओ
और रोप दो कही भी
जीवन में

बारिश के बाद
लोक गीतों की लय पर
लोट पोट हुई मिट्टी
सिर्फ हमारा इन्तजार करती है..

हमे आलिंगन में जकड़ेगी
खड़ा करेगी
और महज दो दिन मे
चलना सीखा देगी नमी

हवा
हाथ फेरेगी हमारे जुल्फो में
हमे पालने में झुलाएगी

रोज आकर बतियाएगी हमसे
सूरज और चांद की किरणे

देखते देखते
जवान हो जाऐगे हम

कंछा फेकेगे
मुट्ठियो में नहीं समाएगे
जब मुड़ेगे फलियो की ओर

घूप भरे आसमान के नीचे
हमे प्यार की चुटकी से निकालो
और रोप दो कही भी
जीवन मे

हम बीजडे है
गांव के।

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